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तारापीठ – माँ तारा की नगरी और तंत्र साधना का केंद्र
तारापीठ पूर्वी भारत के सबसे शक्तिशाली तीर्थ स्थलों में से एक है, जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु और साधक आते हैं। यह 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहाँ देवी सती की नेत्रपिंड (आंख) गिरी थी। यहाँ का तारा माँ मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है, जहाँ माँ तारा की उग्र रूप में मूर्ति स्थापित है। मंदिर में हर दिन पूजा, हवन और आरती होती है। अमावस्या, नवरात्रि, और तारा जयंती पर विशेष आयोजन होते हैं। तारापीठ संत बामाक्षेपा से भी जुड़ा हुआ है, जो एक महान तांत्रिक थे। उनका आश्रम और समाधि मंदिर के पास स्थित है। पास ही स्थित महा श्मशान तांत्रिक साधना का विशेष केंद्र है, जहाँ अब भी साधक ध्यान और पूजा करते हैं। यह स्थल रहस्यमयी होने के साथ-साथ अत्यंत आध्यात्मिक और भक्ति से परिपूर्ण है।
तारापीठ एक पवित्र, रहस्यमय और तांत्रिक शक्ति का केंद्र है। यह तीर्थ यात्रा, साधना या दिव्यता की खोज करने वालों के लिए एक विशेष अनुभव प्रदान करता है।
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