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जोशीमठ भगवान बदरीनाथ की शीतकालीन निवासस्थली, आदि शंकराचार्य के मठ, औली रोपवे, और फूलों की घाटी व हेमकुंड साहिब के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध है।
जोशीमठ – अध्यात्म और हिमालय का संगम
चमोली जिले में लगभग 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ गढ़वाल हिमालय का एक प्रमुख धार्मिक नगर है। यहां भगवान बदरीनाथ की प्रतिमा को सर्दियों में पूजा के लिए लाया जाता है। यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है। यहां से फूलों की घाटी, हेमकुंड साहिब और कुरी पास जैसे ट्रेक शुरू होते हैं। औली रोपवे, जो एशिया की सबसे ऊंची रोपवे में से एक है, यहीं से शुरू होती है और सैलानियों को आकर्षित करती है।
टिप्स विवरण
- भाषाएँ हिंदी, गढ़वाली, अंग्रेज़ी।
- मुद्रा भारतीय रुपया (INR)।
- स्थानीय आपातकालीन नंबर पुलिस – 100, फायर – 101, एम्बुलेंस – 102।
शहर में करने योग्य कार्य
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शंकराचार्य मठ जाएँ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित यह मठ एक आध्यात्मिक केंद्र है, जिसमें 2,000 वर्ष पुराना कल्पवृक्ष है।
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औली रोपवे का अनुभव करें हिमालय की बर्फीली चोटियों का मनोरम दृश्य इस रोपवे से लिया जा सकता है।
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नरसिंह मंदिर जाएँ यह मंदिर भगवान बदरीनाथ की शीतकालीन पूजा का स्थल है।
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फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब ट्रेक करें जोशीमठ से कई प्रमुख हिमालयी ट्रेक शुरू होते हैं।
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शांति से भरी गलियों में चलें इस हिमालयी नगर की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य को महसूस करें।
जोशीमठ कैसे पहुँचें?
- हवाई मार्ग से निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट, देहरादून (लगभग 270 किमी)।
- रेल मार्ग से निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (लगभग 250 किमी)।
- सड़क मार्ग से देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और बदरीनाथ से अच्छी सड़क सुविधा।
निष्कर्ष
जोशीमठ केवल एक ठहराव नहीं, बल्कि एक अनुभव है जो अध्यात्म, प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिकता का संगम प्रस्तुत करता है। यह स्थान हर यात्री के हृदय को छूता है।