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जौनपुर अटाला मस्जिद, शाही पुल, इमरती मिठाई और अपनी समृद्ध भारतीय-इस्लामी विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
जौनपुर - इतिहास और विरासत का मिश्रण
गोमती नदी के तट पर स्थित जौनपुर की स्थापना 14वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने की थी। यह शहर शर्की राजवंश के शासनकाल में फला-फूला और अब अपनी अनूठी वास्तुकला, प्राचीन मस्जिदों और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह मंदिरों, घाटों और सूफी दरगाहों वाला एक धार्मिक केंद्र भी है।
टिप्स विवरण
- भाषा हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी।
- मुद्रा भारतीय रुपया (आईएनआर)।
- स्थानीय आपातकालीन नंबर पुलिस – 100, अग्निशमन – 101, एम्बुलेंस – 102, महिला हेल्पलाइन – 1091।
शहर में करने योग्य गतिविधियाँ
- अटाला मस्जिद जाएँ यह 15वीं शताब्दी की एक भव्य मस्जिद है जो भारतीय-इस्लामी वास्तुकला का प्रदर्शन करती है।
- शाही ब्रिज का अन्वेषण करें अकबर के आदेश पर निर्मित यह पत्थर का पुल इंजीनियरिंग का चमत्कार है।
- मंदिर दर्शन शीतला माता मंदिर और शीतला चौकी लोकप्रिय आध्यात्मिक स्थल हैं।
- स्थानीय मिठाइयों का स्वाद लें जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती और लौंगलता का आनंद लें।
- जामा मस्जिद से लाल दरवाजा मस्जिद तक जाएँ शर्की युग के महत्वपूर्ण इस्लामी स्मारक।
- स्थानीय बाजार पारंपरिक शिल्प और वस्त्रों को देखने के लिए पुराने बाज़ारों में घूमें।
जौनपुर कैसे पहुंचें?
- हवाई मार्ग से निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, वाराणसी (40 किमी) है।
- रेल मार्ग से जौनपुर जंक्शन और जौनपुर सिटी रेलवे स्टेशन अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।
- सड़क मार्ग से वाराणसी, लखनऊ और अन्य शहरों से नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
निष्कर्ष
जौनपुर इतिहास प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों दोनों के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। इसका शांत वातावरण, ऐतिहासिक संरचनाएँ और स्थानीय स्वाद इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक छुपा हुआ रत्न बनाते हैं।