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चित्रकूट भगवान श्रीराम के 11 वर्षों के वनवास, कामदगिरि पर्वत, रामघाट, भरत मिलाप मंदिर, सती अनुसूया आश्रम और गुप्त गोदावरी गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है।
चित्रकूट – आध्यात्मिकता और शांति की भूमि
चित्रकूट वह स्थान है जहाँ भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास का लंबा समय बिताया। इस पवित्र नगरी में मंदाकिनी नदी के किनारे बसे घाट, गूंजती गुफाएँ, घने जंगल और पौराणिक मंदिर हैं। यह स्थान धार्मिक भावना, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का संगम है। यहाँ का प्रत्येक स्थल किसी न किसी पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जिससे यह स्थान तीर्थयात्रियों और इतिहास प्रेमियों दोनों के लिए विशेष बनता है।
टिप्स विवरण
- भाषा हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी।
- मुद्रा भारतीय रुपया (INR)।
- स्थानीय आपातकालीन नंबर पुलिस: 100, एम्बुलेंस: 102, फायर: 101।
शहर में करने योग्य कार्य
- कामदगिरि परिक्रमा करें चित्रकूट का सबसे पवित्र स्थल, जहाँ भगवान राम का निवास माना जाता है।
- रामघाट पर स्नान और नौका विहार मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगाएँ और आरती में भाग लें।
- भरत मिलाप मंदिर जाएँ वह पाव न स्थल जहाँ भरत ने राम से भेंट की थी और उन्हें अयोध्या लौटने का आग्रह किया।
- सती अनुसूया आश्रम में ध्यान करें जंगलों के मध्य स्थित यह आश्रम शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है।
- गुप्त गोदावरी गुफाओं की यात्रा करें रहस्यमयी गुफाएँ जहाँ श्रीराम और लक्ष्मण के निवास की कथाएँ जुड़ी हैं।
- शा म की आरती और दीपदान देखें रामघाट पर हर शाम होने वाली भव्य आरती और दीपों का दृश्य अद्भुत होता है।
चित्रकूट कैसे पहुँचें?
- हवाई मार्ग से निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो (लगभग 175 किमी)।
- रेल मार्ग से चित्रकूटधाम करवी रेलवे स्टेशन (8 किमी) प्रमुख रेलवे जंक्शन है।
- सड़क मार्ग से यह सतना, प्रयागराज (इलाहाबाद), बाँदा और झाँसी से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष
चित्रकूट एक ऐसा स्थल है जहाँ श्रद्धा, अध्यात्म और प्राकृतिक सौंदर्य मिलते हैं। यह उन सभी के लिए आदर्श स्थान है जो आत्मिक शांति और भक्ति की अनुभूति चाहते हैं।