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प्राकृतिक सौंदर्य, वन क्षेत्र, जनजातीय परंपराओं और अमरकंटक जैसे पर्वतीय स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
गौरेला: प्रकृति और जनजातीय संस्कृति का संगम
गौरेला छत्तीसगढ़ के उत्तरी क्षेत्र में बसा एक शांत शहर है, जो घने जंगलों और छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह नव निर्मित गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले का हिस्सा है। यह शहर अपनी सरल जीवनशैली, सांस्कृतिक समृद्धि और अछूते प्रकृति तक पहुँच के लिए जाना जाता है। गौरेला अमरकंटक के करीब है, जो नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है, और यह इको-टूरिस्ट और सांस्कृतिक खोजकर्ताओं के लिए एक शांत जगह भी है। यह शहर पारंपरिक आदिवासी जीवन की झलक दिखाता है, साथ ही आस-पास के गाँवों, वन क्षेत्रों और मंदिरों को देखने का अवसर भी देता है।
टिप्स विवरण
- भाषा हिंदी, छत्तीसगढ़ी, गोंडी।
- मुद्रा भारतीय रुपया (INR)।
- आपातकालीन नंबर 100 (पुलिस), 101 (दमकल), 102/108 (एम्बुलेंस)।
शहर में करने योग्य चीज़ें
- जनजातीय गांवों की सैर आसपास के गाँवों में जाकर जनजातीय जीवन, परंपराएँ और हस्तशिल्प का अनुभव करें।
- अमरकंटक की यात्रा लगभग 30 किमी दूर अमरकंटक जाकर मंदिरों और नर्मदा नदी के उद्गम स्थल का दर्शन करें।
- वन भ्रमण और प्रकृति पथों पर सैर कस्बे के चारों ओर फैले घने जंगलों और सतपुड़ा की तलहटी में सैर करें।
- स्थानीय मंदिर और धार्मिक स्थल क्षेत्र की संस्कृति को दर्शाते मंदिरों और आध्यात्मिक स्थलों की यात्रा करें।
- स्थानीय भोजन और बाज़ार भ्रमण छत्तीसगढ़ी पारंपरिक भोजन का स्वाद लें और साप्ताहिक बाज़ारों में घूमें।
गौरेला कैसे पहुँचें ?
- हवाई मार्ग से नजदीकी हवाई अड्डा बिलासपुर (लगभग 130 किमी); जबलपुर हवाई अड्डा भी सुलभ है।
- रेल मार्ग से गौरेला रेलवे स्टेशन बिलासपुर और जबलपुर से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग से NH-43 से जुड़ा हुआ है और बसों तथा टैक्सियों के माध्यम से बिलासपुर व पेण्ड्रा रोड से पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष
गौरेला एक शांत और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध कस्बा है जो इको-टूरिज्म, जनजातीय जीवन और आध्यात्मिक यात्राओं के लिए उपयुक्त है। यह छत्तीसगढ़ी जीवनशैली का सच्चा अनुभव देता है।