श्री सूक्त पूजा
श्री सूक्त एक वैदिक स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की स्तुति में रचा गया है। यह ऋग्वेद में पाया जाता है और देवी लक्ष्मी की कृपा, धन, समृद्धि, और ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए इसका पाठ किया जाता है।श्री सूक्त में मन्त्रों की संख्या पन्द्रह है। सोलहवें मन्त्र में फलश्रुति है। बाद में ग्यारह मन्त्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध होते हैं। श्री सूक्त का पाठ अत्यंत शुभ माना जाता है और यह विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा और धन-समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है।श्री सूक्त का पाठ विशेष रूप से शुक्रवार और दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा के दौरान किया जाता है।
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त पाठ करना शुभ माना गया है। हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि, आनंद और वैभव की देवी माना जाता हैं। श्री सूक्त का पाठ करने से महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसे मां लक्ष्मी की अराधना करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। श्री यंत्र के सामने श्री सूक्त का पाठ किया जाता है। इस मंत्र में श्री सूक्त के पंद्रह छंदों में अक्षर, शब्दांश और शब्दों के उच्चारण से अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी के ध्वनि शरीर का निर्माण किया जाता है। श्रीसूक्त ऋग्वेद के पांचवें मण्डल के अन्त में होता है। सुक्त में मंत्रों की संख्या पन्द्रह है। सोलहवें मंत्र में फलश्रुति है। बाद में ग्यारह मंत्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध होते हैं। इनको लक्ष्मीसूक्त के नाम से स्मरण किया जाता है।
श्री सूक्त पूजा का महत्व और उद्देश्य:
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धन और समृद्धि: श्री सूक्त का पाठ आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से घर में धन का आगमन होता है और जीवन में संपत्ति, सुख-समृद्धि और उन्नति आती है।
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सकारात्मक ऊर्जा: श्री सूक्त के उच्चारण से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह स्तोत्र घर में शांति और सुख का वातावरण बनाता है।
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आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र केवल भौतिक सुखों के लिए नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी पढ़ा जाता है। इससे मन की शुद्धि होती है और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
श्री सूक्त का पाठ और पूजा धन, समृद्धि और वैभव प्रदान करने वाली मानी जाती है। यह देवी लक्ष्मी की स्तुति का प्रमुख स्रोत है। श्री सूक्त का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है और यह देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक प्रमुख साधन है।
निष्कर्ष:
श्री सूक्त पूजा देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए की जाती है, जिसमें वैदिक मंत्रों के माध्यम से धन, समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक शुद्धता की प्रार्थना की जाती है। पूजा के अंत में यह समझा जाता है कि सच्ची समृद्धि केवल भौतिक धन में नहीं, बल्कि मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और संतोष में भी निहित है।