शक्तिपीठ कोल्हापुर अम्बाबाई
शक्तिपीठ कोल्हापुर अम्बाबाई महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित एक प्रमुख शक्तिपीठ है, जहां देवी महालक्ष्मी की पूजा होती है। इस मंदिर को अम्बाबाई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है और ऐसा माना जाता है कि यहां देवी साक्षात रूप में विराजमान हैं।
नवरात्रि का समय इस मंदिर में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि देवी महालक्ष्मी की भव्य पूजा-अर्चना की जाती है। यहां हजारों की संख्या में भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं और नवरात्रि के नौ दिनों में विविध धार्मिक अनुष्ठान और विशेष आयोजन होते हैं।
अम्बाबाई (महालक्ष्मी) शक्तिपीठ का महत्त्व
शास्त्रों के अनुसार, यह शक्तिपीठ उन 51 शक्तिपीठों में से एक है जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। कोल्हापुर का यह मंदिर उन भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। यहां देवी को धन और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है और भक्त अपनी आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए विशेष रूप से यहां आते हैं।
नवरात्रि के दौरान अम्बाबाई शक्तिपीठ की विशेषताएं
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विशेष सजावट और अलंकरण: नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है। देवी महालक्ष्मी की प्रतिमा को सुंदर वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है। हर दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन कराया जाता है।
- विशेष पूजा और आरती: नवरात्रि में रोजाना विशेष पूजा, हवन और आरती का आयोजन होता है। देवी को पुष्प, नारियल, फल, और विशेष नैवेद्य अर्पित किया जाता है। मंदिर में भव्य दीपमालाएं और ध्वज लगाए जाते हैं।
- घटस्थापना और कलश पूजन: नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना और कलश पूजन से होती है। इस दिन मंदिर में कलश की स्थापना की जाती है और देवी महालक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।
- रथयात्रा: नवरात्रि के दौरान कोल्हापुर में देवी महालक्ष्मी की रथयात्रा का आयोजन होता है। इस यात्रा में हजारों भक्त भाग लेते हैं। देवी की मूर्ति को रथ पर बिठाकर शहर के प्रमुख मार्गों से होकर यात्रा निकाली जाती है, जिसमें भक्तगण झूमते और नाचते हैं।
- दर्शन और भव्य उत्सव: नवरात्रि में मंदिर में दिन-रात दर्शन की व्यवस्था होती है। भक्तों की लम्बी कतारें लगती हैं और दूर-दूर से लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस दौरान विशेष भंडारे और प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की जाती है।
- कन्या पूजन: अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का आयोजन होता है। नौ कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराया जाता है। इस अवसर पर मंदिर में भव्य आयोजन होता है।