कार्तिक मास 2024: महत्व, नियम और क्या करें, क्या न करें

कार्तिक मास 2024: महत्व, नियम और क्या करें, क्या न करें

कार्तिक मास का महत्व: हिंदू धर्म में कार्तिक मास को अत्यधिक पवित्र और शुभ माना गया है। इस मास में भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, जिसे देवोत्थान एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मास के दौरान स्नान, ध्यान, दान और दीपदान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

इस महीने में गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है, लेकिन यदि गंगा स्नान करना संभव न हो, तो गंगाजल को नहाने के पानी में डालकर स्नान करना भी उतना ही पुण्यकारी माना जाता है। कार्तिक मास में आने वाले प्रमुख त्योहारों में करवा चौथ, दिवाली, भैयादूज, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी, और तुलसी विवाह शामिल हैं।

कार्तिक मास 2024 की तिथियां:

  • शुरुआत: 17 अक्टूबर 2024 की शाम 4:56 बजे (उदय तिथि के अनुसार 18 अक्टूबर 2024 से)
  • समापन: 15 नवंबर 2024 (कार्तिक पूर्णिमा)

कार्तिक मास के नियम:

कार्तिक मास में कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ताकि इस पवित्र महीने में अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। आइए जानते हैं इस महीने के कुछ प्रमुख नियम:

  1. स्नान और दान:
    कार्तिक मास में पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि नदी स्नान संभव नहीं हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

  2. दीपदान:
    इस महीने में घी का दीपक जलाकर नदी, तालाब या तुलसी के पौधे के पास दीपदान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। दीपदान से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

  3. तुलसी पूजन:
    रोजाना सुबह और शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना और उसकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है। तुलसी का सेवन करना भी लाभकारी होता है, लेकिन ध्यान रखें कि तुलसी की पत्तियों को चबाएं नहीं, उन्हें पानी के साथ निगलें।

  4. अन्न और खाद्य नियम:
    इस महीने में मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन पूरी तरह वर्जित है। उड़द, मूंग की दाल, मटर, बैंगन और करेला जैसी चीजों का सेवन भी इस महीने में वर्जित है। इसके अलावा, इस महीने में दिन में एक बार ही भोजन करना शुभ माना जाता है।

  5. तेल और शारीरिक नियम:
    कार्तिक मास में शरीर पर तेल का उपयोग वर्जित होता है, केवल नरक चतुर्दशी के दिन तेल मालिश की जाती है। इसके अलावा, भूमि पर सोने से सात्विकता और शांति का अनुभव होता है।

  6. ब्रह्मचर्य का पालन:
    इस मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है। पति-पत्नी के लिए इस नियम का पालन न करने पर अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।

  7. पाठ और मंत्र:
    कार्तिक मास के दौरान गीता का पाठ करने से व्यक्ति को अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। साथ ही, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।

  8. दान का महत्व:
    गरीबों को चावल और गुड़ का दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। यह चंद्र दोष को कम करता है और चंद्रमा ग्रह को शुभ फल देने में सहायक होता है।

कार्तिक मास में करें ये काम:

  • सुबह स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • तुलसी के पौधे की विधि-विधान से पूजा करें और शाम को दीपक जलाएं।
  • ध्यान और जप का विशेष महत्व होता है। रोजाना भगवद गीता का पाठ करें।
  • दान-पुण्य और दीपदान अवश्य करें। इसे करते हुए इस महीने को पुण्यकारी बनाएं।

कार्तिक मास में न करें ये काम:

  • मांसाहार, मछली, अंडा और शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
  • बैंगन, करेला, मूंग की दाल, उड़द की दाल आदि का सेवन न करें।
  • तामसिक भोजन और व्यवहार से बचें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार न हो।

समाप्ति:
कार्तिक मास का समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन होगा, जिसके बाद मार्गशीर्ष मास की शुरुआत होगी।

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