पद्मनाभ द्वादशी 2024: पूजा विधि, महत्व और पूजन सामग्री की पूरी जानकारी

पद्मनाभ द्वादशी हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जो भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का अवसर प्रदान करता है। इस वर्ष, पद्मनाभ द्वादशी का पर्व 14 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। आइए, इस विशेष दिन पर की जाने वाली पूजा विधि, इसका धार्मिक महत्व और पूजन सामग्री के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पद्मनाभ द्वादशी का महत्व
पद्मनाभ द्वादशी का धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- भगवान विष्णु की कृपा: इस दिन भगवान विष्णु की आराधना से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
- पापों का नाश: मान्यता है कि पद्मनाभ द्वादशी के दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
पद्मनाभ द्वादशी व्रत एवं पूजा विधि
पद्मनाभ द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान के साथ करना अत्यंत आवश्यक है। यहाँ बताया गया है कि किस प्रकार से पूजा की जानी चाहिए:
- स्नान और शुद्धिकरण: सूर्योदय से पहले उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करें।
- पूजा स्थल की स्थापना: एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। माता लक्ष्मी की प्रतिमा भी साथ में रखें।
- पंचामृत से अभिषेक: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इसके बाद गंगाजल से स्नान कराएं।
- पूजन सामग्री अर्पित करें: भगवान विष्णु को ताजे फूल, अक्षत, चंदन, रोली, धूप और दीप अर्पित करें। साथ ही तुलसी दल का उपयोग अवश्य करें, क्योंकि यह भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है।
- भोग: भगवान को खीर, फल, और अन्य प्रिय व्यंजन जैसे पुरी और हलवा अर्पित करें।
- मंत्र जाप: “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें। आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।
- आरती और परिक्रमा: पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और तुलसी या केले के पेड़ की परिक्रमा करें।
पूजन सामग्री की सूची
- भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की प्रतिमा
- कमल का फूल
- फल और नैवेद्य
- तुलसी दल
- चंदन और रोली
- पंचामृत
- धूप और दीप
- नए वस्त्र
- घी का दीपक
पद्मनाभ द्वादशी की पौराणिक कथा
पद्मनाभ द्वादशी की कथा के अनुसार, भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन कर रहे थे, उनकी नाभि से कमल का पुष्प प्रकट हुआ, जिससे भगवान ब्रह्मा का जन्म हुआ। भगवान ब्रह्मा ने विष्णु की स्तुति की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दिन से भगवान विष्णु को पद्मनाभ स्वरूप में पूजा जाता है।
उपसंहार
पद्मनाभ द्वादशी का पर्व जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं। आइए इस पवित्र दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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