कामिका एकादशी: पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति की व्रत कथा

कामिका एकादशी: पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति की व्रत कथा

कामिका एकादशी हिंदू धर्म में एक पावन दिन है जिसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है, और इस दिन भक्त अपने मन, वचन और कर्म से उनकी आराधना करते हैं। कामिका एकादशी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन व्रत करने से न केवल इस जन्म के पाप कट जाते हैं बल्कि पूर्व जन्म के पापों से भी मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन नदी, कुंड या सरोवर में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ जितना पुण्य मिलता है।

कामिका एकादशी व्रत कथा

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार किसी गांव में एक अत्यंत बलशाली क्षत्रिय निवास करता था, जिसे अपने शारीरिक बल पर अत्यधिक गर्व था। हालांकि, वह धर्मपरायण था और प्रतिदिन जगत के पालनहार विष्णु की आराधना करता था। एक दिन किसी आवश्यक कार्य हेतु जाते समय उसकी भेंट एक दुर्बल ब्राह्मण से हुई और दोनों के बीच झगड़ा हो गया। आवेग में आकर उसने ब्राह्मण से वाद-विवाद करने के बजाय हाथापाई आरंभ कर दी। ब्राह्मण उसके प्रहार सहन नहीं कर पाया और उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना से क्षत्रिय सकते में आ गया और तुरंत उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने गांव के समक्ष क्षमा याचना की और ब्राह्मण का विधिपूर्वक अंतिम संस्कार करने का वचन दिया।

पंडितों ने अंतिम संस्कार में भाग लेने से इंकार कर दिया। पंडितों ने क्षत्रिय को बताया कि ‘ब्रह्म हत्या दोष’ से मुक्ति पाने के लिए सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी होगी, ब्राह्मणों को भोजन कराना होगा, और दान-दक्षिणा देनी होगी। क्षत्रिय ने ब्राह्मण का अंतिम संस्कार कर, पंडितों के निर्देशानुसार कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना की और ब्राह्मणों को भोजन व दान दिया। उसी रात भगवान विष्णु उसके सपने में आए और बोले, “तुम्हारी भक्ति और आज की पूजा से मैं प्रसन्न हूँ। इस व्रत के पुण्य से तुम्हें ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति मिल गई है।”

तब से, कामिका एकादशी व्रत की परंपरा प्रारंभ हुई और इसे विधि-विधान से पालन किया जाता है।

कामिका एकादशी व्रत का महत्त्व

कामिका एकादशी का व्रत करने से सबके बिगड़े काम बन जाते हैं। विशेष रूप से इस तिथि में विष्णु जी की पूजा-अर्चना करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। व्रत के फलस्वरूप भगवान विष्णु की पूजा से उपासकों के साथ उनके पित्रों के भी कष्ट दूर हो जाते हैं। उपासक को मोक्ष प्राप्ति होती है। इस दिन तीर्थस्थानों में स्नान करने और दान-पुण्य करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फलप्राप्ति होती है।

श्रावण मास में भगवान विष्णुजी की पूजा करने से, सभी गन्धर्वों और नागों की भी पूजा हो जाती है। श्री विष्णुजी को यदि संतुष्ट करना हो तो उनकी पूजा तुलसी पत्र से करें। ऐसा करने से ना केवल प्रभु प्रसन्न होंगे बल्कि आपके भी सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है।

कामिका एकादशी व्रत विधि

एकादशी तिथि पर स्नानादि से निवृत्त होकर पहले संकल्प लें और श्री विष्णु के पूजन-क्रिया को प्रारंभ करें। प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि निवेदित करें। आठों पहर निर्जल रहकर विष्णुजी के नाम का स्मरण करें एवं भजन-कीर्तन करें। इस दिन ब्राह्मण भोज एवं दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। अत: ब्राह्मण को भोज करवाकर दान-दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जप अवश्य करें।

निष्कर्ष

कामिका एकादशी का व्रत करने से न सिर्फ मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि भक्त को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। सभी श्रद्धालुओं को इस पावन पर्व पर व्रत अवश्य करना चाहिए। कामिका एकादशी के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे इस लेख को अपने सभी परिजनों के साथ अवश्य साझा करें। 

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