अपान मुद्रा

अपान मुद्रा

यह मुद्रा बहुमुखी है जो कि हर किसी को लाभ पहुंचाती है। यह मुद्रा शरीर में जहरीले द्रव्‍य से छुटकारा दिलाती है। यह मुद्रा मूत्र संबन्धि समस्या को दूर करती है और पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाती है।

कैसे करें
  • सुखासन या अन्य किसी आसान में बैठ जाएँ।
  • दोनों हाथ घुटनों पर, हथेलियाँ उपर की तरफ एवं रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
  • मध्यमा और अनामिका दोनों अँगुलियों एवं अंगुठे के अग्रभाग को मिलाकर दबाएं।
  • तर्जनी (अंगुठे के पास वाली) और कनिष्ठा (सबसे छोटी अंगुली) सीधी रखें।
लाभ
  • शरीर और नाड़ियों की शुद्धि होती है।
  • मल और दोष विसर्जित होते है तथा निर्मलता प्राप्त होती है।
  • कब्ज दूर होती है।
  • यह बवासीर के लिए उपयोगी है।
  • अनिद्रा रोग दूर होता है।
  • पेट के विभिन्न अवयवों की क्षमता विकसित होती है।
  • वायु विकार एवं मधुमेह का शमन होता है।
  • मूत्रावरोध एवं गुर्दों का दोष दूर होता है।
  • दाँतों के दोष एवं दर्द दूर होते है।
  • पसीना लाकर शरीर के ताप को दूर करती है।
  • हृदय शक्तिशाली बनता है।
सावधानी
  • यह मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए।
  • इस मुद्रा को करते समय अपका ध्यान भटकना नहीं चाहिए।
  • अपान मुद्रा एक शक्तिशाली मुद्रा है इसमें एक साथ तीन तत्वों का मिलन अग्नि तत्व से होता है, इसलिए इसे निश्चित समय से अधिक नही करना चाहिए।
  • इसको करने से यूरिन अधिक आने की सम्भावना रहती है। इससे कोई नुकसान नहीं होता इसलिए इससे डरे नहीं।

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