Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत का उद्देश्य जीवन के सभी संकटों को दूर करना और सुख-समृद्धि को प्राप्त करना है। इस वर्ष गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 19 नवंबर 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व

भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव और विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को सुख-शांति, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए इस व्रत को करती हैं।

पूजा विधि (Puja Vidhi)

  1. स्नान और संकल्प:
    सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। व्रत का संकल्प लें।

  2. गणेश जी की स्थापना:
    पूजा स्थल पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  3. मंत्र जाप और पूजा सामग्री:
    गणेश मंत्र "ॐ गण गणपतये नमः" का जाप करें। भगवान गणेश को फूल, धूप, दीप, अक्षत, रोली और मोदक अर्पित करें।

  4. भोग और अर्घ्य:
    भगवान गणेश को मोदक, लड्डू या उनकी प्रिय मिठाइयों का भोग लगाएं। चंद्रमा के दर्शन के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोलें।

शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

  • चतुर्थी तिथि आरंभ: 18 नवंबर 2024, शाम 6:55 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 19 नवंबर 2024, शाम 5:28 बजे
  • चंद्र दर्शन का समय: 18 नवंबर 2024, रात 7:34 बजे
  • पूजन का समय:
    • सुबह: 9:26 बजे से 10:46 बजे तक
    • शाम: 5:26 बजे से 7:06 बजे तक

उपवास के समय सावधानियां

  • तामसिक भोजन जैसे लहसुन-प्याज से बचें।
  • फलाहार, दूध या सात्विक आहार ग्रहण करें।
  • गणेश भगवान की कहानियां और भजन का पाठ करें।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के लाभ

  • जीवन की बाधाएं और संकट दूर होते हैं।
  • सुख, समृद्धि और तरक्की के मार्ग खुलते हैं।
  • अच्छे स्वास्थ्य, बुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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