हरियाली तीज: सौभाग्य और प्रेम का पर्व
हरियाली तीज
भारतीय संस्कृति में विशेष महत्त्व रखता है, जिसे सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व नारी साज-श्रृंगार, पतिव्रता धर्म, और दाम्पत्य जीवन की खुशहाली के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। अविवाहित लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। हरियाली तीज का मुख्य उद्देश्य तीन विकारों— छल, कपट और निंदा— का परित्याग करना है, ताकि जीवन में खुशहाली आ सके।
सावन और हरियाली तीज का महत्त्व
सावन का महीना हरी-भरी धरती और सुगंधित बयार से सजीव हो उठता है। यह मास धार्मिक भावनाओं के साथ उल्लास और प्रेम का प्रतीक है। सावन की बौछारें न केवल धरती को, बल्कि हमारे दिलों को भी खुशी से भर देती हैं। इस दौरान हरियाली तीज का पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व शिव-पार्वती के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अनेक जन्मों तक तपस्या की थी। इस दिन महिलाएं शिव और पार्वती की पूजा करके अपने पतियों की दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।
तीज का त्योहार और पारंपरिक उत्सव
भारत में हरियाली तीज एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं हरे परिधान पहनती हैं, हरी चूड़ियां धारण करती हैं और झूला झूलती हैं। तीज का त्योहार सखियों और सहेलियों के साथ मनाने का विशेष महत्त्व है, जहां महिलाएं मिलकर गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं और अपनी खुशी व्यक्त करती हैं। मायके से आई बेटियां अपने बचपन की यादों को ताजा करती हैं, और इस पर्व के माध्यम से अपने परिवार से जुड़ाव को और भी मजबूत करती हैं।
हरियाली तीज का आध्यात्मिक महत्त्व
हरियाली तीज के दिन महिलाएं केवल अपने पति की दीर्घायु की कामना नहीं करतीं, बल्कि यह पर्व आध्यात्मिक शुद्धि और भक्ति का प्रतीक भी है। तीज के दिन तीन विकारों का त्याग करना चाहिए— छल, कपट, और परनिंदा। ये विकार मनुष्य को पतन की ओर ले जाते हैं, और हरियाली तीज हमें इनसे दूर रहकर जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का संदेश देती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन मास की तृतीया तिथि बहुत पवित्र मानी जाती है, और इस दिन किया गया व्रत विशेष फलदायी होता है।
तीज के आधुनिक स्वरूप
आधुनिक युग में तीज के त्योहार को नए ढंग से मनाया जा रहा है। विभिन्न क्लबों और होटलों में तीज क्वीन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जहां महिलाएं मेंहदी, गीत, और नृत्य की प्रतियोगिताओं में भाग लेती हैं। हालाँकि तीज का त्योहार आधुनिकता के आवरण में ढल गया है, फिर भी इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ यथावत हैं। त्योहार की गरिमा और भावनाएँ आज भी उतनी ही प्रबल हैं जितनी कि पहले थीं।
तीज के धार्मिक मंत्र और विधि-विधान
हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो भक्ति की शक्ति को प्रकट करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
- ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः
- ऊँ गौरये नमः
- ऊँ पार्वत्यै नमः
इन मंत्रों का जाप करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा, जिन दंपत्तियों को संतान सुख नहीं प्राप्त हो रहा होता, वे संतान प्राप्ति के लिए भी तीज के दिन विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
तीज का संदेश
हरियाली तीज का त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन की नकारात्मकताओं से मुक्त होकर, प्रेम, सद्भावना, और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पर्व दाम्पत्य जीवन में मधुरता और स्थिरता लाने का माध्यम है, साथ ही महिलाओं के जीवन में सौंदर्य, शक्ति, और भक्ति का प्रतीक है।
हरियाली तीज हर नारी के जीवन में खुशियों की नई किरणें लेकर आए, और शिव-पार्वती का आशीर्वाद सबके जीवन को सुख-समृद्धि से भर दे।
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