सीता अष्टमी 2025: राम कृपा पाने के लिए करें भगवती सीता की आराधना

सीता अष्टमी 2025 कब है?
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सीता अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि माता सीता के प्रकटोत्सव के रूप में जानी जाती है। वर्ष 2025 में, सीता अष्टमी 20 फरवरी, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन प्रातः 7:20 बजे के बाद अष्टमी तिथि का संचार होगा, इसलिए भक्त इस शुभ तिथि पर माता जानकी की पूजा-अर्चना करेंगे।
सीता अष्टमी का महत्व
फाल्गुन माह हिंदू पंचांग का अंतिम महीना होता है। इस समय शीत ऋतु समाप्ति की ओर होती है और प्रकृति में उल्लास छा जाता है। यही समय होता है जब खेतों में नई फसल पककर तैयार होती है। धार्मिक दृष्टि से, यह महीना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सीता अष्टमी को जानकी अष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन माता सीता की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि स्वयं भगवान श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से समुद्र तट पर तपस्या करते हुए यह व्रत किया था। इस व्रत में जौ, चावल, तिल आदि से हवन किया जाता है और पूए का नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
सीता अष्टमी व्रत विधि
- प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
- एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर अक्षतों का अष्टदल कमल बनाएं और उस पर माता लक्ष्मी एवं माता जानकी की मूर्ति स्थापित करें।
- गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि से माता सीता का पूजन करें।
- प्रदोषकाल में दीपदान करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन करें।
- अगले दिन पूजन सामग्री और दान-दक्षिणा किसी ब्राह्मण को अर्पित करें।
सीता अष्टमी पर विशेष मंत्र
भगवती सीता को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्र का जप करें:
"नील सरोरूह नील मनि, नील नीरधर स्याम।
लाजहिं तन शोभा निरखि, कोटि-कोटि सत काम।।"
यह मंत्र देवी सीता की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है। भगवान श्रीराम के नाम में ‘श्री’ शब्द माता सीता का प्रतीक है। जिस प्रकार माता पार्वती भगवान शिव की शक्ति हैं, उसी प्रकार माता सीता भगवान राम की शक्ति और शोभा हैं।
कालाष्टमी 2025: भगवान भैरव की आराधना का विशेष दिन
सीता अष्टमी के साथ-साथ, 20 फरवरी 2025 को मासिक कालाष्टमी भी मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की उपासना के लिए समर्पित होता है।
कालाष्टमी का महत्व
मासिक कालाष्टमी को भगवान काल भैरव की आराधना करने से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं। यह दिन साहस, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
कालाष्टमी व्रत विधि
- प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- भगवान काल भैरव की पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
- बेलपत्र, धतूरा, काले तिल, काले वस्त्र, नारियल, चावल और नींबू का अर्पण करें।
- रात में भगवान भैरव के मंदिर में दीप जलाएं और उनकी आरती करें।
- भैरव अष्टक, काल भैरव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
सीता अष्टमी और मासिक कालाष्टमी, दोनों ही दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। माता सीता की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, वहीं भगवान काल भैरव की साधना से नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं। अतः, भक्तगण 20 फरवरी 2025 को इन दोनों पर्वों को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं।
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