जानकी जयंती 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

जानकी जयंती 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

जानकी जयंती 2025 का पर्व 21 फरवरी 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह दिन माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में जाना जाता है और इसे सीता अष्टमी भी कहा जाता है। जानकी जयंती मुख्य रूप से उत्तर भारत और नेपाल में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना कर उनके जीवन से जुड़े प्रसंगों को स्मरण करते हैं।

जानकी जयंती 2025 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें सर्वार्थ सिद्धि योग, शिववास योग और हर्षण योग शामिल हैं। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:28 बजे से 03:14 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:13 बजे से 06:39 बजे तक
  • निशिता मुहूर्त: रात 12:09 बजे से 01:00 बजे तक

इन शुभ मुहूर्तों में पूजा-अर्चना करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

जानकी जयंती का महत्व

जानकी जयंती हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह दिन नारी शक्ति, त्याग और समर्पण का प्रतीक है। माता सीता को आदर्श नारी के रूप में पूजा जाता है, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और मर्यादा का पालन किया।

  • इस दिन माता सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।
  • श्रद्धालु इस दिन रामायण का पाठ कर जीवन में नैतिकता और धैर्य धारण करने का संकल्प लेते हैं।
  • कुंवारी कन्याओं द्वारा इस दिन माता सीता का व्रत रखने से योग्य वर की प्राप्ति होती है।
  • दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास बनाए रखने के लिए इस दिन पति-पत्नी को मिलकर पूजा करनी चाहिए।

जानकी जयंती 2025 पूजा विधि

जानकी जयंती के दिन माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत और पूजा करने की विधि इस प्रकार है:

  1. प्रातः काल स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
  2. दीप प्रज्वलन और पूजन: घर के मंदिर या किसी सीता-राम मंदिर में जाकर घी का दीपक जलाएं और माता सीता एवं भगवान श्रीराम का ध्यान करें।
  3. मूर्ति या चित्र का अभिषेक: माता सीता की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं।
  4. श्रृंगार सामग्री अर्पित करें: माता को कुमकुम, अक्षत, फूल, वस्त्र और सुहाग सामग्री अर्पित करें।
  5. रामायण पाठ और मंत्र जाप: इस दिन रामायण पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है। माता सीता के निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें –
    • श्री सीतायै नमः
    • ॐ जानकीवल्लभाय नमः
    • ॐ सीता रामाय नमः
  6. हवन एवं आरती: पूजा के बाद हवन करें और सीता-राम की आरती गाएं।
  7. भोग और प्रसाद वितरण: माता को फल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं और बाद में प्रसाद स्वरूप वितरित करें।
  8. दान और सेवा: गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करें।

जानकी जयंती व्रत का महत्व

जानकी जयंती पर व्रत रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है।

  • विवाहित स्त्रियों को इस दिन माता सीता की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की प्रार्थना करनी चाहिए।
  • जो महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति चाहती हैं, वे माता सीता के समक्ष संतान प्राप्ति के लिए व्रत करें और फलाहार ग्रहण करें।
  • कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना गया है, जिससे योग्य वर की प्राप्ति होती है।

जानकी जयंती पर कौन-कौन से कार्य करने चाहिए?

  1. माता सीता और भगवान श्रीराम की संयुक्त पूजा करें।
  2. रामायण और सुंदरकांड का पाठ करें।
  3. गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  4. गौ सेवा करें और गौ माता को हरा चारा खिलाएं।
  5. व्रत रखें और दिनभर सात्विक भोजन करें।

जानकी जयंती के दिन किए गए धार्मिक कार्य और पूजा-पाठ से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

जानकी जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो माता सीता के आदर्श जीवन और उनके द्वारा निभाई गई मर्यादाओं को याद करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन विशेष पूजा, व्रत और रामायण पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।

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