अनंत चतुर्दशी: पौराणिक कथा
अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा अत्यंत महत्वपूर्ण और रोचक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अनंत रूप धारण करके पूरे ब्रह्मांड की रक्षा की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में राजा सुतन ने अपनी पत्नी, रानी सुशीला के साथ भगवान विष्णु की पूजा की थी और अनंत सूत्र बांधकर विष्णु भगवान से अपने राज्य की समृद्धि और सुख-शांति की कामना की थी। अनंत सूत्र को बांधने से साधक के जीवन में कभी न समाप्त होने वाली समृद्धि आती है।
अनंत सूत्र बांधने का महत्व
अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र बांधने की परंपरा बहुत प्राचीन है। यह सूत्र रेशम के धागे से बना होता है और इसे विष्णु भगवान का आशीर्वाद माना जाता है। इसे दाहिने हाथ में पुरुष और बाएं हाथ में महिलाएं बांधती हैं। इस धागे के 14 गांठ होते हैं, जो भगवान विष्णु के 14 रूपों का प्रतीक हैं। इसे बांधने से व्यक्ति के जीवन में अनंत सुख, समृद्धि, और सफलता आती है।
व्रत का महत्व
अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन व्रत रखने वाले साधक को शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है। व्रत करने से व्यक्ति को अपने कर्मों के फल के रूप में पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत करने वाले को अन्न-जल त्यागकर भगवान विष्णु के नाम का जाप करना चाहिए और उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
अनंत चतुर्दशी और गणेश उत्सव
गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। 10 दिनों तक गणपति बप्पा की पूजा अर्चना और सेवा के बाद, इस दिन बप्पा का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के समय भक्त 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' के जयकारे लगाते हुए भावपूर्ण विदाई देते हैं। इस दिन भगवान गणेश को विसर्जित करने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, जो कि भक्त और भगवान के बीच के भावनात्मक बंधन को और गहरा करता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब भक्त गणपति बप्पा से अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना करते हैं।
अनंत चतुर्दशी पर क्या करें और क्या न करें
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क्या करें:
- अनंत सूत्र धारण करें।
- भगवान विष्णु की पूजा के साथ साथ माता यमुना और शेष नाग की भी पूजा करें।
- गणपति बप्पा का विसर्जन विधिपूर्वक करें।
- व्रत रखें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- ब्राह्मणों को दान करें।
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क्या न करें:
- व्रत के दौरान क्रोध, लालच, और अहंकार से बचें।
- अनंत चतुर्दशी के दिन किसी की निंदा या बुराई न करें।
- व्रत तोड़ने के बाद अत्यधिक भोजन से बचें।
अनंत चतुर्दशी का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
अनंत चतुर्दशी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। इस दिन गणेश विसर्जन का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। विभिन्न शहरों में गणेश विसर्जन के दौरान शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिसमें लोग बड़े उत्साह के साथ हिस्सा लेते हैं। इस उत्सव में सभी वर्ग के लोग, बिना किसी भेदभाव के, मिलजुलकर भाग लेते हैं, जिससे सामाजिक एकता और भाईचारे को भी बल मिलता है।
समर्पण और आस्था का प्रतीक
अनंत चतुर्दशी एक ऐसा पर्व है जो हमें सिखाता है कि भगवान के प्रति समर्पण और आस्था हमें जीवन में हर कठिनाई से उबरने में मदद करती है। यह त्योहार भगवान विष्णु और गणपति बप्पा के प्रति हमारी आस्था और प्रेम को प्रदर्शित करता है। इस दिन भक्त भगवान से आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को अनंत सुख, समृद्धि और शांति से भरने की कामना करते हैं।
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