अजा एकादशी 2024: व्रत कथा से जानें कैसे राजा हरिश्चंद्र ने पाया अश्वमेध यज्ञ का फल
अजा एकादशी व्रत का महत्व
अजा एकादशी, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी है, जो भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन व्रत करने और व्रत कथा सुनने से साधक को अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पालन करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अजा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन समय में अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट राजा हरिश्चंद्र, अपनी सत्यनिष्ठा और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी ईमानदारी और धर्मपरायणता के कारण उन्हें कठिन परीक्षाओं का सामना करना पड़ा। एक बार राजा ने स्वप्न में देखा कि उन्होंने ऋषि विश्वामित्र को अपना समस्त राज्य और वैभव दान कर दिया है।
अगली सुबह, ऋषि विश्वामित्र वास्तव में राजा के दरबार में उपस्थित हुए और उन्होंने स्वप्न में हुए दान की मांग की। राजा हरिश्चंद्र ने सत्य का पालन करते हुए अपना सारा राज्य, संपत्ति और यहां तक कि अपनी पत्नी तारामती और पुत्र रोहिताश्व को भी बेच दिया। स्वयं को भी बेचने के बाद राजा हरिश्चंद्र एक चाण्डाल के दास बन गए और श्मशान घाट में दाह संस्कार का कार्य करने लगे।
राजा हरिश्चंद्र ने कठिन परिस्थितियों में भी सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा। उनकी इस कठिनाई से मुक्ति के लिए गौतम ऋषि ने उन्हें अजा एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया। ऋषि ने बताया कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने और रात्रि में जागरण करने से उनके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे और उन्हें पुनः सुख और समृद्धि प्राप्त होगी।
राजा हरिश्चंद्र ने गौतम ऋषि के निर्देशों का पालन करते हुए अजा एकादशी व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिली। स्वर्ग से देवताओं ने फूलों की वर्षा की, और राजा को उनका खोया हुआ राज्य, परिवार, और सम्मान पुनः प्राप्त हुआ। मृत्यु के पश्चात राजा हरिश्चंद्र को बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई।
अजा एकादशी व्रत का फल
इस कथा का पाठ करने और व्रत का पालन करने से साधक को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। अजा एकादशी व्रत का पालन करने से जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
अजा एकादशी का व्रत सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत रखने और व्रत कथा सुनने से साधक को पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस पावन अवसर पर व्रत और कथा का पालन अवश्य करना चाहिए।
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