कालाष्टमी 2024: काल भैरव की उपासना में दुर्लभ ‘इंद्र योग’ का संयोग, मनोकामना होगी पूरी

कालाष्टमी 2024: काल भैरव की उपासना में दुर्लभ ‘इंद्र योग’ का संयोग, मनोकामना होगी पूरी

हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह तिथि भक्तों के लिए बहुत शुभ मानी जाती है, क्योंकि इस दिन किए गए पूजा-पाठ से न केवल जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं, बल्कि साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। इस बार मार्गशीर्ष माह की कालाष्टमी, 22 नवंबर 2024 को दुर्लभ ‘इंद्र योग’ और अन्य शुभ योगों के संयोग के साथ मनाई जाएगी।

कालाष्टमी का महत्व

कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित पर्व है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव की पूजा करने से साधक को सुख, शांति और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेष रूप से, इस दिन साधक तंत्र साधना और सिद्धि प्राप्ति के लिए कठिन उपासना करते हैं। भगवान शिव के इस रौद्र स्वरूप की उपासना से भय, अज्ञान और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

दुर्लभ 'इंद्र योग' का संयोग

इस बार मार्गशीर्ष माह की कालाष्टमी पर ‘इंद्र योग’ का निर्माण हो रहा है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, यह योग 22 नवंबर को दोपहर 11:34 बजे के बाद शुरू होकर 23 नवंबर को सुबह 11:42 बजे तक रहेगा। इस योग में काल भैरव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल प्राप्त होगा। साथ ही, रवि योग का भी संयोग सुबह 06:50 बजे से शाम 05:10 बजे तक रहेगा। इन शुभ योगों में पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं।

कालाष्टमी 2024: शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर 2024 को शाम 06:07 बजे होगी और यह 23 नवंबर 2024 को शाम 07:56 बजे समाप्त होगी। निशा काल में पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है। शुभ मुहूर्त की जानकारी इस प्रकार है:

  • निशिता काल: रात 11:41 बजे से 12:34 बजे तक
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:02 बजे से 05:56 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:22 बजे से 05:49 बजे तक

काल भैरव की पूजा विधि

  1. सूर्योदय से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल पर काल भैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. काले तिल, सरसों का तेल, उड़द दाल, गुड़, और पुष्प चढ़ाएं।
  4. काले कुत्तों को भोजन कराएं और उन्हें प्रेमपूर्वक दुलार करें।
  5. रात्रि में दीप जलाकर ‘ॐ कालभैरवाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें।

कालाष्टमी पर तंत्र साधना का महत्व

तंत्र साधना में रुचि रखने वाले साधक इस दिन कठिन उपासना करते हैं। यह दिन सिद्धि प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष माना जाता है। कहा जाता है कि काल भैरव साधना करने से साधक को असाधारण शक्तियां प्राप्त होती हैं और जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

पंचांग और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

  • सूर्योदय: सुबह 06:50 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 05:25 बजे
  • चंद्रोदय: रात 11:41 बजे
  • चंद्रास्त: देर रात 12:35 बजे

कालाष्टमी 2024 का संदेश

कालाष्टमी का पर्व हमें आत्मिक शांति, साहस और सकारात्मकता का संदेश देता है। भगवान काल भैरव की कृपा से भक्त न केवल भयमुक्त हो सकते हैं, बल्कि उनके जीवन में नई ऊर्जा और खुशियों का संचार भी होता है। इस शुभ अवसर पर उनकी पूजा-अर्चना करके जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

इंद्र योग और कालाष्टमी के इस शुभ संयोग का लाभ उठाएं और भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करें।

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